भारतीय स्मृति और मूल्यबोध का स्थापत्य शैव, शाक्त और वैष्णव परम्परा के आख्यानों से निर्मित हुआ है। शास्त्र की परम्परा से लेकर लोक की वाचिक परम्परा तक इन आख्यानों को सदियों से कथा वाचकों ने लोक स्मृति में विस्तारित किया है। एक जीवन्त परम्परा बनाये रखने में इन कथाव्यासों का केन्द्रीय योगदान है।
हमारी स्मृति अतीत के आयाम में जितना भी पीछे जा सकती है, उतने समय की कल्पना के अतीत से भी पुराने ये आख्यान हमारे जातीय जीवन की प्रेरणा और मूल्यबोध के केन्द्र में अपनी जगह बनाये रखकर एकदम समकाल तक कलाओं के कितने सारे माध्यमों में अभिव्यक्त होते हैं। मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग ने इन आख्यानों के कला वैविध्य को अभिव्यक्ति प्रदान करने के लिए नियोजित प्रयास परिकल्पित किया है। इन भारतीय आख्यानों का कितना विविध और विशाल कला विश्व निर्मित हो सकता है, इन्हीं संभावित कलाभिप्रायों को यहाँ प्रदर्शित किया जाना है। त्रि-वेणी भारतीय आख्यान परम्परा के विस्तार का ललित संसार होगा।
दीर्घा खुलने का समय :प्रतिदिन प्रातः 12 से सांय 08 बजे तक
अवकाश : प्रत्येक मंगलवार और राज्य शासन द्वारा घोषित अवकाश
प्रवेश : निःशुल्क
ई-मेल : triveni.museum101@gmail.com