चौमासा - ग्राम्य कलाओं, परम्पराओं, वाचिकता एवं अन्य संस्कृति रूपों पर केन्द्रित चैमासिक पत्रिका है। चैमासा का प्रकाशन जनजातीय लोककला एवं बोली विकास अकादमी, मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद्, भोपाल द्वारा वर्ष 1983 से निरन्तर किया जा रहा है। पत्रिका के कुछ अंक विशिष्ट विषय पर आधारित विशेषांक के रूप में भी प्रकाशित किये गये हैं।
मध्यप्रदेश की विशिष्टता को स्थापित करने तथा उसकी बहुरंगी, बहुआयामी संस्कृति को बेहतर रूप से समझने और दर्शाने का कार्य दीर्घा क्रमांक-एक...
आगे पढेंदीर्घा-एक से दो में प्रवेश करने के लिए जिस गलियारे से गुजर कर जाना होता है, वहाँ एक विशालकाय अनाज रखने की कोठी बनाई गई है।...
आगे पढेंकलाबोध दीर्घा में हमने जीवन चक्र से जुड़े संस्कारों तथा ऋतु चक्र से जुड़े गीत-पर्वों-मिथकों, अनुष्ठानों को समेटने का उद्देश्य रखा है।...
आगे पढेंसंकेतों, प्रतीकों की जिस आशुलिपि में इस आदिवासी समुदाय ने अपने देवलोक के वितान को लिखा है, उसकी व्यापकता दिक्-काल की अनंत-असीम की ...
आगे पढेंअतिथि राज्य की आदिवासी संस्कृति को दर्शाती दीर्घा में सबसे पहले छत्तीसगढ़ के आदिवासी समुदायों के जीवन को प्रस्तुत किया जा रहा है।...
आगे पढेंजीवन की भोर बेला यानी बचपन और उसके खेलों पर आधारित प्रदर्शनी इस दीर्घा में लगायी गई है। आदिवासी समुदायों में भौतिक वस्तुएँ नहीं के बराबर हैं...
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