वित्त आयोग के अध्यक्ष एन.के सिंह ने जनजातीय जीवन, देशज ज्ञान, परम्परा और सोंदर्यबोध पर एकाग्र मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय का अवलोकन किया| मध्यप्रदेश संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव पंकज राग भी संग्रहालय भ्रमण में उनके साथ रहे|
एन.के सिंह ने संग्रहालय में निर्मित दीर्घाओं में मध्यप्रदेश के जनजातीय जीवन, कलाबोध, देवलोक, खेल और अतिथि राज्य का भ्रमण किया तथा संग्रहालय में प्रदर्शित विभिन्न प्रकार के कला शिल्पों का बारिकी से अवलोकन किया| इसके साथ ही साथ उन्होंने सौंदर्य सलिला नर्मदा के कथा चित्रों की प्रदर्शनी 'शाश्वत' अंतर्गत प्रदर्शित चित्रों को भी देखा|
मध्यप्रदेश की विशिष्टता को स्थापित करने तथा उसकी बहुरंगी, बहुआयामी संस्कृति को बेहतर रूप से समझने और दर्शाने का कार्य दीर्घा क्रमांक-एक...
आगे पढेंदीर्घा-एक से दो में प्रवेश करने के लिए जिस गलियारे से गुजर कर जाना होता है, वहाँ एक विशालकाय अनाज रखने की कोठी बनाई गई है।...
आगे पढेंकलाबोध दीर्घा में हमने जीवन चक्र से जुड़े संस्कारों तथा ऋतु चक्र से जुड़े गीत-पर्वों-मिथकों, अनुष्ठानों को समेटने का उद्देश्य रखा है।...
आगे पढेंसंकेतों, प्रतीकों की जिस आशुलिपि में इस आदिवासी समुदाय ने अपने देवलोक के वितान को लिखा है, उसकी व्यापकता दिक्-काल की अनंत-असीम की ...
आगे पढेंअतिथि राज्य की आदिवासी संस्कृति को दर्शाती दीर्घा में सबसे पहले छत्तीसगढ़ के आदिवासी समुदायों के जीवन को प्रस्तुत किया जा रहा है।...
आगे पढेंजीवन की भोर बेला यानी बचपन और उसके खेलों पर आधारित प्रदर्शनी इस दीर्घा में लगायी गई है। आदिवासी समुदायों में भौतिक वस्तुएँ नहीं के बराबर हैं...
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