'लोकरंग - 2023'

गणतंत्र का उत्सव

गणतंत्र का उत्सव - 'लोकरंग'

26 से 30 जनवरी, 2023 | रवींद्र भवन, भोपाल


27/01/2023

76 वर्षिय पद्मविभूषण सुश्री तीजनबाई ने महाभारत के दुशासन वध प्रसंग

95 वर्षिय पद्मश्री श्री रामसहाय पाण्डेय ने दी राई नृत्य की प्रस्तुति

गणतंत्र के उत्सव लोकरंग के दूसरे दिन 'कलाओं में घुमंतु समुदायों की भूमिका' विषय पर संवाद का आयोजन किया गया। संवाद की अध्यक्षता वरिष्ठ अध्येता एवं समाजसेवी श्री दुर्गादास जी ने की। स्वागत उद्बोधन एवं बीज वक्तव्य देते हुए अकादमी के निदेशक डॉ धर्मेंद्र पारे ने कहा कि लोकरंग में पहली बार घुमंतु समुदाय की लोक परंपरा, जीवन शैली एवं रचनात्मकता पर संवाद सत्र का आयोजन किया जा रहा है। अकादमी का उद्देश्य है कि नई पीढ़ी इन विषयों से परिचित हो सके और इन समुदायों के प्रति अपनी समझ विकसित कर सके। संवाद के पहले दिन डॉ. टीकमणि पटवारी, पीसीलाल यादव , डॉ श्रीकृष्ण काकड़े एवं श्री सूर्यकांत भगवान भिसे ने अपनी बात रखी। संचालन शुभम चौहान तथा आभार राहुल सिंह परिहार ने व्यक्त किया।

छिंदवाड़ा मध्यप्रदेश से आईं डॉ. टीकमणि पटवारी ने बसदेवा समाज पर अपनी बात रखी। उन्होंने बताया कि बसदेवा समाज के लोग पूरे देश में घूम- घूम कर वाचक परंपरा का निर्वाहन करते हैं। इस घुमंतू समुदाय के लोग अपने मुख से राजा मोरध्वज, राजा करण, राजा हरिश्चंद्र, रामकथा, शिव जी एवं गणेश जी के भजन सुनाते हैं। साथ ही उन्होंने बताया कि पुराने समय में बसदेवा समुदाय सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर दान मांगने जाया करते हैं। और बसदेवा समाज की कथाएं समाज में नैतिकता एवं जीवन निर्वहन की शिक्षा देती हैं । यह समाज आज भी ज्ञान परंपरा को पीढ़ी-दर-पीढ़ी लेकर चल रहा है। राजनांदगांव छत्तीसगढ़ से आए डॉ. पीसी लाल यादव ने भी बसदेवा समाज के ही बारे में बताया कि कि भगवान श्री कृष्ण के पिता बसुदेव से बसदेवा समाज की उत्पत्ति हुई है। इसलिए बसदेवा कहलाते हैं। महाराष्ट्र के अकोला से आए डॉ. श्रीकृष्ण काकडे और उनके साथ आए वासुदेव समाज के कलाकारों, मसान-जोगियों जिनका मत शैव मत से मिलता है और बहुरूपियों के समूह ने अपनी वाचिक प्रस्तुति दी। महाराष्ट्र से ही आए सूर्यकांत भगवान भिसे जी ने कहा कि घुमंतू छत्रपति शिवाजी के लिए जासूसी का काम करते थे आज घुमंतू समुदाय के नाम से जाने जाते हैं। उनके साथ आए गोंधली कलाकारों, कुरमुड़े जोशी, कलंदर समुदाय के कलाकारों ने मंच पर प्रस्तुति देकर भोपाल के सभी महाविद्यालयों से आए छात्रों एवं प्राध्यापकों का मन मोह लिया। अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए संभाजीनगर से आए विद्वान श्री दुर्गादास जी ने पुरातन काल में घुमंतुओं के एक स्थान से दूसरे स्थान तक घूमने का महत्व बताया। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति और विरासत को संभालने का काम घुमंतु समुदाय ने किया है। व्यापार एवं सांस्कृतिक तथा सामाजिक आदान- प्रदान की दृष्टि से घुमंतू समुदाय प्राचीन समय से ही महत्वपूर्ण कार्य करता रहा है। संवाद में भोपाल के विभिन्न महाविद्यालयों के प्राध्यापक, शोधार्थी एवं छात्र उपस्थित रहे ।

उत्सव की संध्या में पद्मविभूषण सुश्री तीजनबाई, दुर्ग द्वारा पण्डवानी गायन की प्रस्तुति दी। उन्होंने पंडवानी गायन में दुशासन वध के प्रसंग का प्रदर्शन किया। पंडवानी का शाब्दिक रूप से महाभारत के प्रसिद्ध भाइयों पांडवों की कहानि से है, और एक हाथ में एक वाद्ययंत्र लेकर प्रस्तुति की जाती है। इसके साथ ही 95 वर्षिय पद्मश्री श्री रामसहाय पाण्डेय़ एवं साथी द्वारा राई नृत्य की प्रस्तुति दी गई। उत्सव के अगले क्रम में देशातंर में जनजातीय कार्य विभाग द्वारा नृत्य-संगीत की प्रस्तुति दी। वहीं यू.के. देश से आए कलाकारों ने हॉलीवुड पॉप डांस की प्रस्तुति दी जिसमें फ्री स्टाइल में नृत्य किया।

उत्सव में देश के 12 राज्य क्रमशः लम्बाड़ी नृत्य-कर्नाटक, ढिमसा-आन्ध्रप्रदेश, धनगिरिगजा-महाराष्ट्र, ढोलूकुनीथा-कर्नाटक, डोमकच-झारखण्ड, गुड़का नृत्य - उड़ीसा ,भोटिआ नृत्य – उत्तराखण्ड, रावा नृत्य- आसाम, गद्दनाटी नृत्य-हिमाचल प्रदेश, असुर नृत्य-झारखण्ड, बिरहोर नृत्य –झारखण्ड, राई नृत्य-मध्यप्रदेश,भवई नृत्य-राजस्थान, देवार करमा नृत्य- छत्तीसगढ़, चरी-घूमर नृत्य-राजस्थान, वाघेर रास-द्वारका, टिपणी नृत्य-गुजरात, गोटीपुआ-नृत्य, उड़ीसा के घुमन्तू एवं लोक समुदायों के कलाकार नृत्यों की प्रस्तुतियां दी। कार्यक्रम में ढिमसा नृत्य की प्रस्तुति दी गई। यह नृत्य आंध्रप्रदेश का जनजातीय नृत्य है। यह नृत्य मुख्य रूप से शुभ अवसरों एवं विवाह के अवसरों में किया जाता है। जिसमें मोरी, किरीडी, तुडुमू, डप्पू, और जोडुकोमुलु वाद्ययंत्र का प्रयोग करते हैं। इसके बाद धनगरिगजा नृत्य –महाराष्ट्र की प्रस्तुति दी गई। धनगरिगजा नृत्य महाराष्ट्र के धनगर समुदाय द्वारा किया जाता है। धनगर पशु चराने का कार्य करते हैं और वे भगवान शंकर को विरोवा का अवतार मानते हैं। उनकी उपासना करने के लिए गज नृत्य करते हैं। इसके साथ ही दशहरा और गुड़ी पड़वा के अवसर पर महाराष्ट्र में मेला लगता है, जिसमें महाराष्ट्र का धनगर समुदाय एकत्रित हो कर पूजा पाठ करते हैं

“निस्पन्द”, डेरा प्रदर्शनी, “संवाद” और उल्लास होगे प्रमुख आकर्षण

लोकरंग में विमुक्त समुदायों की कला परंपरा से जनसामान्य को अवगत कराने के उद्देश्य से "निस्पन्द”, डेरा प्रदर्शनी, “संवाद” और उल्लास प्रमुख आकर्षण होंगे। विमुक्त समुदायों पर केंद्रित शिविर “निस्पन्द” में मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, जम्मू-कश्मीर और उत्तरप्रदेश के घुमन्तू समुदाय के कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन और सामग्री का विक्रय करेंगे। उत्सव में पहली बार डेरा प्रदर्शनी संयोजित की जा रही है जिसमें घुमन्तू समुदाय के पारधी, कालबेलिया, बागरी, कुचबंधिया, बेड़िया की जीवन शैली, रहन- सहन को उनके पारंपरिक डेरों के माध्यम से दिखाया जाएगा। घुमन्तू समुदायों के जीवन परंपरा आधारित “संवाद” का आयोजन भी किया जा रहा है। कलाओं में घुमन्तू समुदायों की भूमिका पर देश के अध्येता भोपाल स्थित शासकीय महाविद्यालय के विद्यार्थियों एवं प्राध्यापकों के साथ संवाद करेंगे। बच्चों के लिये उल्लास श्रृंखला के अंतर्गत घुमन्तू समुदायों के करतब और मनोरंजक खेलों का संयोजन किया जायेगा। लोकरंग उत्सव में विविध शिल्प माध्यमों के शिल्पों का मेला “हुनर”, कलात्मक दीपकों की प्रदर्शनी “अभ्यर्थना”, कला एवं संस्कृति विषयक पुस्तको का “पुस्तक मेला”, देशज व्यंजन “स्वाद” प्रदर्शनी, गायन प्र लोकरंग उत्सव में विविध शिल्प माध्यमों के शिल्पों का मेला “हुनर”, कलात्मक दीपकों की प्रदर्शनी “अभ्यर्थना”, कला एवं संस्कृति विषयक पुस्तको का “पुस्तक मेला”, देशज व्यंजन “स्वाद” प्रदर्शनी, गायन प्रस्तुति पर “लोकराग” भी मुख्य आकर्षण होगा।

उत्सव में खास नृत्य प्रस्तुतियां

लोकरंग में 28 जनवरी,2023 को देशांतर में यूक्रेन के नृत्य एवं स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा नृत्य एवं संगीत, 29 जनवरी,2023 को भुट्टे खां एवं साथी, जैसलमेर द्वारा मांगणियार गायन, धरोहर में विभिन्न राज्यों के नृत्य एवं देशांतर में इजिप्ट के नृत्य की प्रस्तुति होगी। 30 जनवरी, 2023 को महात्मा गाँधी की पुण्यतिथि पर पीर पराई जाने रे... में ख्यात सूफी गायक पद्मश्री श्री भारती बंधु द्वारा प्रस्तुति दी जायेगी। लोकरंग में सभी का प्रवेश निःशुल्क रहेगा।


26/01/2023

गणतंत्र के उत्सव "लोकरंग" में दिखेगी विमुक्त एवं घुमंतू संस्कृति की झलक

राज्यपाल श्री पटेल और मंत्री सुश्री ठाकुर ने किया शुभारंभ

राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल और संस्कृति, पर्यटन और धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व मंत्री सुश्री उषा ठाकुर ने रविंद्र भवन में गणतंत्र के उत्सव 38वें "लोकरंग" का शुभारंभ किया। राज्यपाल श्री पटेल और मंत्री सुश्री ठाकुर ने परिसर में विमुक्त एवं घुमंतू विषय पर केंद्रित डेरा प्रदर्शनियों का अवलोकन कर समुदाय की संस्कृति को करीब से जाना। साथ ही समुदाय की कला और शिल्प की सराहना भी की। साथ ही उत्सव में दीयों पर आधारित अभ्यर्थना का भी अवलोकन कर, दीयों की विभिन्न कलाओं को जाना।

राज्यपाल श्री पटेल ने वर्ष 2021 के राष्ट्रीय सम्मान से किया सम्मानित

राज्यपाल श्री पटेल और मंत्री सुश्री ठाकुर ने वर्ष 2021 के राष्ट्रीय सम्मानों के लिए राष्ट्रीय कबीर सम्मान डॉ. श्याम सुंदर दुबे, हटा को, राष्ट्रीय मैथिलीशरण गुप्त सम्मान श्री सदानन्द गुप्त , गोरखपुर को, राष्ट्रीय इकबाल सम्मान डॉ. सैयद तक़ी हसन आबिदी, हैदराबाद को, राष्ट्रीय शरद जोशी सम्मा‍न डॉ. श्रीराम परिहार, खण्डवा को और राष्ट्रीय नानाजी देशमुख सम्मान जनजाति कल्याण केन्द्र महाकोशल, डिंडोरी को सम्मानित किया। राष्ट्रीय कबीर सम्मान में 3 लाख रूपये और शेष सम्मान में 2 लाख रूपये की सम्मान निधि के साथ शाल, श्रीफल और प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया गया।

एमपी कल्चर ऐप

राज्यपाल श्री पटेल और मंत्री सुश्री ठाकुर ने संस्कृति विभाग के एमपी कल्चर ऐप का रिमोट का बटन दबाकर शुभारंभ किया। एमपी कल्चर ऐप में संस्कृति विभाग के आयोजनों को जानकारी मिलेगी। कार्यक्रम की लाइव लिंक भी ऐप में उपलब्ध रहेगी। साथ ही प्रदेश की विभिन्न कला विधाओं की जानकारी भी ऐप से प्राप्त हो सकेगी। एमपी कल्चर ऐप गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध है जिसे फ्री में डाउनलोड किया जा सकता है।

गणतंत्र दिवस परेड और झांकियों के राज्य स्तरीय पुरस्कार

राज्यपाल श्री पटेल और मंत्री सुश्री ठाकुर ने परेड, लोक नृत्य सांस्कृतिक प्रस्तुतियों और झांकियों के विजेताओं को ट्रॉफी और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। झांकियों में पहला स्थान जेल विभाग, दूसरा स्थान पर्यटन विभाग और तीसरा स्थान वन विभाग ने प्राप्त किया। सैन्य दलों की श्रेणी में पहला स्थान हॉक फोर्स, दूसरा विशेष सशस्त्र बल और तीसरा स्थान एसटीएफ प्लाटून को प्रदान किया गया। असैन्य दल की श्रेणी में पहला स्थान भूतपूर्व सैनिक, दूसरा एनसीसी एयर विंग, तीसरा स्थान संयुक्त रूप से सीनियर डिविजन एनसीसी आर्मी विंग (गर्ल्स) और एनसीसी नेवल विंग को प्रदान किया गया। विद्यालयों में पहला स्थान शासकीय नवीन उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, दूसरा हेमा उच्चतर माध्यमिक विद्यालय भेल और तीसरा स्थान मानसरोवर पब्लिक स्कूल ने प्राप्त किया। लोक नृत्य सांस्कृतिक प्रस्तुतियों में पहला स्थान भील भगोरिया जनजातीय लोक नृत्य, दूसरा स्थान कोरकू थाटिया लोक नृत्य और तीसरा स्थान गुदुम बाजा लोक नृत्य को मिला।

राजस्थान के कालबेलिया समुदाय पर केंद्रित 'चरैवेति’ नृत्य नाटिका की हुई प्रस्तुति

लोकरंग में राजस्थान समुदाय के कालबेलिया समुदाय के जीवन पर एकाग्र ‘चरैवेति’ समवेत नृत्य नाटिका की प्रस्तुति हुई। इसमें कालबेलिया समुदाय की जीवन परंपरा, संस्कृति को दिखाया गया। नृत्य नाटिका का निर्देशन भोपाल के ख्यात रंगकर्मी और अभिनेता श्री रामचंद्र सिंह ने किया। प्रस्तुति में लगभग 100 कलाकारों ने प्रदर्शन किया। नाटिका में सूत्रधार के रूप में ख्यात अभिनेत्री सुश्री हिमानी शिवपुरी ने किया। नृत्य नाटिका का आलेख श्री योगेश त्रिपाठी-रीवा और सुश्री अदिति गौड़-भोपाल द्वारा तैयार किया गया।

रवींद्र भवन परिसर, भोपाल में 30 जनवरी तक लोकरंग उत्सव मनाया जायेगा। लोकरंग के केंद्र में विमुक्त एवं घुमंतू विषय को रखा गया है। लोकरंग में यूक्रेन, यूके, इजिप्ट के साथ देश के 12 राज्यों के लोक नृत्य की प्रस्तुतियां होंगी। लोकरंग उत्सव में विविध शिल्प माध्यमों के शिल्पों का मेला “हुनर”, कलात्मक दीपकों की प्रदर्शनी “अभ्यर्थना”, कला एवं संस्कृति विषयक पुस्तको का “पुस्तक मेला”, देशज व्यंजन “स्वाद” प्रदर्शनी, गायन प्रस्तुति पर “लोकराग” भी मुख्य आकर्षण है। लोकरंग में सभी का प्रवेश निःशुल्क रहेगा।

ई-कार्ड (विवरणिका)