मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय द्वारा प्रदेश के जनजातीय चित्रकारों को चित्र प्रदर्शनी और चित्रों की बिक्री के लिये सार्थक मंच उपलब्ध कराने की दृष्टि से प्रतिमाह 'लिखन्दरा प्रदर्शनी दीर्घा' में किसी एक जनजातीय चित्रकार की प्रदर्शनी सह विक्रय का संयोजन शलाका नाम से किया जाता है। इसी क्रम में 3 अप्रैल, 2025 से गोण्ड समुदाय के चित्रकार श्री हीरामन उर्वेती के चित्रों की प्रदर्शनी सह-विक्रय का संयोजन किया गया है। 60वीं शलाका चित्र प्रदर्शनी 30 अप्रैल, 2025 (मंगलवार से रविवार) तक निरंतर रहेगी।
गोण्ड परधान समुदाय से सम्बद्ध 43 वर्षीय श्री हीरामन उर्वेती गोण्ड चित्रकला की वर्तमान पीढ़ी के चित्रकारों में परिचित नाम है। आपका जन्म ग्राम सुलपुरी, पाटनगढ़, जिला- डिण्डौरी में हुआ। बचपन जंगल-पहाड़ों से घिरे ग्रामीण वातावरण में गुजरा। खेती-किसानी वाले परिवार में पले-बढ़े और 10वीं तक औपचारिक शिक्षा हासिल करने के बाद आप रोजगार और अपने स्वास्थ्य के उपचार हेतु भोपाल में अपने एक रिश्तेदार के यहाँ आ गये थे। यहीं आपका परिचय गोण्ड चित्रकला के मूर्धन्य चित्रकार स्व. जनगणसिंह श्याम से हुआ। फिर आपने उनके मार्गदर्शन में रहकर चित्रकला की बारीकियों को सीखा-समझा और समय के साथ स्वतंत्र कार्य करने लगे।
आप विवाहित हैं और आपकी दो बेटियाँ हैं, जो शिक्षारत हैं। आपकी पत्नी श्रीमती गीतांजलि उर्वेती भी गोण्ड चित्रकला में राज्य स्तरीय पुरस्कार प्राप्त हैं। वर्तमान में आप भोपाल में निवासरत हैं एवं आजीविका के लिए स्वतंत्र रूप से चित्रकर्म करते हैं। आपने श्रीलंका, फ्रांस, अमेरिका आदि देशों में गोण्ड चित्रकला का प्रतिनिधित्व किया है। देश के विभिन्न शहरों में भी आपने एकल एवं संयुक्त चित्रकला प्रदर्शनियों में भाग लिया है। आपको राज्य स्तरीय विश्वकर्मा पुरस्कार और रूपांकन पुरस्कार प्राप्त हैं। विभिन्न कला संस्थाओं द्वारा आपको सम्मानित भी किया गया है।
आप अपनी सफलता का श्रेय गोण्ड चित्रकला के सुविख्यात कलाकार स्व. जनगणसिंह ‘श्याम’ को देते हैं और उन्हीं के पदचिन्हों पर चलते हुए आप भी अपनी कला के जरिये अपने जातीय गौरव के लिए कुछ बेहतर करने में प्रयासरत हैं। नयी पीढ़ी के बच्चों को आप चित्रकला सिखाते हैं। ऑनलाइन कक्षाएँ भी लेते हैं। आपके चित्रों में प्रकृति-पर्यावरण और जातीय अनुभव संसार प्रमुखता से देखने को मिलता है।
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